मध्यप्रदेश विधानसभा को 26 मार्च तक के लिए स्थगित किए जाने के निर्णय को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मध्य प्रदेश इकाई ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। मध्यप्रदेश भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में मांग की है कि राज्यपाल लालजी टंडन द्वारा जारी निर्देश के अनुसार, विधानसभा अध्यक्ष को 12 घंटे के भीतर एक फ्लोर टेस्ट आयोजित करने का आदेश दिया जाए।
याचिकाकर्ता ने कहा कि राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री कमलनाथ को विश्वास मत हासिल करने और 16 मार्च को सदन पटल पर बहुमत साबित करने के लिए स्पष्ट निर्देश जारी किए जाने के बावजूद विश्वास मत को लेकर कुछ नहीं किया गया।
याचिका में कहा गया, "इस प्रकार से राज्यपाल के निर्देशों को टाल दिया गया। मुख्यमंत्री और उनकी पार्टी के नेताओं ने फ्लोर टेस्ट कराने से मना कर दिया है।"
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि सरकार के पास बहुमत नहीं है और कांग्रेस पार्टी के 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है, जिसमें से छह विधायकों के इस्तीफे को विधानसभा अध्यक्ष ने मंजूर कर लिया है और कमलनाथ सरकार अल्पमत में है।
याचिका में कहा गया है, "(कांग्रेस) सरकार के पास एक दिन भी सत्ता में बने रहने का कोई नैतिक, कानूनी, लोकतांत्रिक या संवैधानिक अधिकार नहीं है। अपनी अल्पसंख्यक सरकार को बहुमत में लाने के लिए मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्यों को माननीय मुख्यमंत्री की ओर से हर संभव धमकियां, प्रलोभन दिए जा रहे हैं। खरीद-फरोख्त अपने चरम पर है।